I just love the following lines....i guess they have been written by Gulzaar..they are form one of my most favourite movies - Thoda sa rumani ho jayein..
दो दिनोँ के बीच एक छोटी सी रात है
रात के इधर एक दिन, रात के उधर एक दिन
दिन दो हैँ, बस रात एक है.कर लो जो चाहो, बन लो जो चाहो
आज है तुम्हारा, और कल भी तुम्हारा है !!
दो घाटोँ के बीच, एक पतली सी धारा है
घाट नहीँ चलते, धारा चलती है
पतली सी धारा, जाकर समन्दर से मिलती है
समन्दर से मिलती है, और मिलकर खो जाती है
घाट, घाट ही रहते हैँ, वो समन्दर हो जाती है !!
समन्दर को बान्धे, ऐसा कोई घाट नहीँ
कदमोँ को थामे, ऐसी कोई बात नहीँ
कर लो जो चाहो, बन लो जो चाहो
तुम कर नहीँ सकते ऐसा कहीँ कुछ भी नहीँ
इसलिए, यह न कहना कभी क्या करेँ, कैसे करेँ !!!
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